राजद की समीक्षा बैठक पर बोले नीरज कुमार, अपने नकारेपन की समीक्षा करने बैठे हैं तेजस्वी यादव
पटना (जागता हिंदुस्तान) बिहार सरकार के पूर्व मंत्री व विधान पार्षद नीरज कुमार ने आज (सोमवार) राजद के आयोजित समीक्षा बैठक पर अपने चिर परिचित अंदाज में निशाना साधा है।
नीरज कुमार ने 15 प्रश्नों की एक पूरी फेहरिस्त के जरिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा है कि दफा 420 के आरोपी तेजस्वी यादव सरकारी कोष से गबन के आरोपी सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव से आदेश प्राप्त कर लोकसभा चुनाव 2019 के पश्चात बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जनता से मिली दुत्कार पर अपने नकारेपन की समीक्षा करने बैठे हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा है कि सोमवार को आयोजित RJD की समीक्षा बैठक में संभवतः इन बिंदुओं पर मंथन होगा कि:
- जनता इन्हे लगातार यूँ ही नहीं नकार रही, टिकट वितरण में आपराधिक प्रवृति के कुछ और लोगों को टिकट
देना चाहिए था। - जेल में बंद कुछ और कुख्यात गुंडों और अपराधियों को टिकट देना चाहिए था?
- और किन किन सजायाफ्ता हत्यारों और बलात्कारियों के परिजनों को टिकट देने में चूक हो गई?
- जनता समझ गई थी रोजगार के लिए डिग्री नहीं क्रिमिनल रिकॉर्ड देखा जाएगा (जैसे अनैतिक देह व्यापार
अधिनियम के आरोपी को मिली @yadavtejashwi के PA की नौकरी) - खुद तो देह व्यापार के आरोपी को निजी सहायक बनाया ही, टिकट देने में भी आपराधिक प्रवृति के लोगों और
उनके परिजनों को तरजीह दी। - परिवार और पार्टी के लिए लालूवाद से ज्यादा घातक है तेजस्वी फोबिया?
- ये अपने माता-पिता के कार्यकाल में हुए जनता के सत्तापोषित सुनियोजित दमन के लिए बारम्बार कान पकड़
माफ़ी मांगते रहे, पर जनता इनकी कुटिलता से वाकिफ थी और इनके झांसे में न आनी थी, न आई। लालू राबड़ी
राज में जो अनर्थ हुआ जनता उसे इस जन्म में नहीं भूलने वाली? - जनता सोशल मीडिया पर प्रचार नहीं नेता का विरासत और परिवार भी देखती है? जनता ने तो बहुमत से पहले
ही समीक्षा कर दिया था, नतीजा चुनाव में जनता ने दिखा दिया। - चुनाव में कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर तेजस्वी को चेहरा बनाना महंगा पड़ा? अकेले सत्ता की मलाई
का सपना देखने के चक्कर में कई सहयोगियों से मक्कारी भारी पड़ी? - अब प्रश्न उठता है कि क्या वे इस बात की समीक्षा कर सार्वजनिक करेंगे कि चुनाव में टिकट बांटने में कितने
पैसे मिले और उस गैरकानूनी तरीके से अर्जित धन को कहाँ एडजस्ट किए ? - यूँ भी गरीबों के स्वघोषित रहनुमा होने का दावा करने वाले लालू परिवार की घोषित पारिवारिक सम्पत्ति ही 34
करोड़ से अधिक है। तरुण कुमार यादव जैसे फर्जी नामों से पता नहीं इन्होने कहाँ-कहाँ सम्पत्ति की श्रृंखला
खड़ी कर रखी है, फिर भी इनलोगों को संपत्ति की ऐसी भूख है कि वसूली को कोई भी जायज-नाजायज हाथ
से जाने नहीं देते। - टिकट बिक्री में रेट तो बम्पर मिला मगर टिकट खरीदने वाले जनता को नहीं खरीद पाए”
- क्या वो इस बात की समीक्षा करेंगे कि वैश्विक कोरोना महामारी के दौर में बिहार छोड़कर क्यों भागे ?
- क्या दागी तेजस्वी बताएँगे कि समीक्षा का आदेश और मुख्य बिन्दु होटवार से प्राप्त हुआ, बेऊर से प्राप्त हुआ
अथवा तिहाड़ से? - अब क्या जरुरत है दागी तेजस्वी यादव को अपने हार की समीक्षा की जबकि जनता ने तो इनके नेतृत्व को
लगातार नकारा है?