World TB Day : टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान दवा छोड़ना खतरनाक: Paras Hospital
पटना (जागता हिंदुस्तान) विश्व टीबी (ट्यूबरक्युलोसिस) दिवस के मौके पर पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल के पल्मोनरी विशेषज्ञ डाॅ. प्रकाश सिन्हा ने कहा है कि टी.बी. के मरीजों को इलाज के दौरान दवा नहीं छोड़नी चाहिए नहीं तो जान पर खतरा पैदा हो सकता है। दवा निर्धारित समय तथा डोज के अनुसार लेनी चाहिए। प्राइमरी स्टेज में दवा छोड़ने पर यह एम.डी.आर. स्टेज में पहुंच जाता है और इस स्टेज में भी दवा छोड़ने पर यह एक्स.डी.आर. और टी.डी.आर. स्टेज में पहुंच जाता है। अंतिम दो स्टेजों में मरीज को बचाने में डाॅक्टरों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है, फिर भी सफलता मिलने की गुंजाइश कम हो जाती है।
उन्होंने कहा कि यह बीमारी कुपोषण के कारण होती है, इसलिए लोगों को संतुलित स्वास्थ्यकारी भोजन करना चाहिए। भोजन में प्रोटीनयुक्त डायट की अधिकता होनी चाहिए। अंडा, मछली, चिकेन, राजमा का अधिक से अधिक सेवन कर टी.बी. से बचा जा सकता है। इसके अलावा फल में सेब, खीरा, नाषपाती लेना फायदेमंद होता है।
बिमारी के लक्षण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बुखार अधिक दिनों तक लगे, खांसी लम्बे समय तक बरकरार रहे, बुखार शाम को आए तथा लो ग्रेड का बुखार रहे, वजन घटता रहे तथा मुंह से खून आए तो ये टी.बी. के आम लक्षण माने गये हैं। इसके लिए जांच में एक्स-रे और बलगम की जांच कराई जाती है। टी.बी. के मरीजों को भीड़भाड़ वाले इलाके में बिना मास्क के नहीं जाना चाहिए। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सांस, छीक तथा बातचीत करने के माध्यम से आती है। मास्क लगाने से मरीज अपना और दूसरे दोनों का बचाव कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के मरीजों को कहीं बाहर से आने पर हाथ-पैर, मुंह को धोना चाहिए। इसकी दवा छह माह से लेकर दो साल तक चलती है।