CORONA : BJP और JDU की अन्दरूनी राजनीति का खामियाजा भुगत रहा है बिहार- RJD
पटना (जागता हिंदुस्तान) राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने आरोप लगाया है कि विपदा और संकट की इस घड़ी में भाजपा और जदयू के अन्दरूनी राजनीति का खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने ने कहा कि गत 2 अप्रैल को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातें की थी और राज्यों के स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में जानकारी ली थी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस के रोकथाम और सही ईलाज के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर मदद की मांग की थी, परन्तु अभी तक केन्द्र सरकार उदासीन बनी हुई है। और तमाशा यह है कि एसडीआरएफ के तहत राज्यों को मिलने वाली केन्द्रांश के रूप में बिहार को राज्य आपदा मद में मिले 708 करोड़ रूपये को भाजपा केन्द्रीय मदद के रूप में प्रचारित कर रही है।
राजद नेता ने कहा कि अपने पूर्व के अनुभवों के आधार पर मुख्यमंत्री यह जानते थे कि केन्द्र से उन्हें कोई मदद नहीं मिलेगी, इसलिए उन्हें मांगने की हिम्मत नहीं हो रही थी। लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के दबाव मे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने स्वास्थ्य सेवा से जुड़े मांगों को रखने की हिम्मत की। हालांकि कोरोना वायरस के नाम पर दूसरे प्रदेशों को उनकी माँगों से ज्यादा देने वाली केन्द्र की सरकार ने बिहार को निराश किया है।
मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस से बचाव और ईलाज के लिए तत्काल 100 वेन्टीलेटर मांगा था, अभी तक एक भी नहीं मिला। टेस्टिंग किट के अभाव में बिहार में वायरस की जाँच का काम रूका हुआ था। तत्काल 10 हजार टेस्टिंग किट की मांग की गई तो मात्र 250 मिला, 5 लाख पीपीई किट मांगा गया तो मात्र 4 हजार मिला, 10 लाख सी प्लाई मास्क मांगने पर मिला एक लाख, इसी प्रकार 10 लाख एन 95 मास्क मांगने पर मात्र 50 ,000 भेजा गया।
राजद नेता ने कहा कि एक ओर केन्द्र बिहार की मांगों की उपेक्षा कर आवश्यक स्वास्थ्य उपकरणों की आपूर्ति नहीं कर रही है दूसरी और भाजपा के नेता जांच परिणामों की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं। आखिर भाजपा और जदयू के अन्दरूनी राजनीति का खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ रहा है और सत्ता के लोभ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतने लाचार और विवश हैं कि बिहार का वाजिब हक भी नहीं दिलवा सकते। दूसरी ओर भाजपा भी इनकी मजबूरी को समझते हुए इनसे अपना पुराना हिसाब चुकता कर रही है और इन दोनों के बीच की राजनीतिक कुटलता की कीमत बिहार की जनता को चुकाना पड़ रही है।