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रालोसपा का महाकिसान चौपाल नौबतपुर में आज, बड़ी तादाद में हिस्सा लेंगे किसान

पटना (जागता हिंदुस्तान) राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राज्यव्यापी किसान चौपाल कार्यक्रम के तहत नौबतपुर के अजवां में बुधवार को महाकिसान चौपाल का आयोजन किया गया है. इस किसान चौपाल में पटना व आसपास के इलाकों से हजारों किसान हिस्सा लेंगे. रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री इसमें बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे और किसानों से संवाद करेंगे. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक और प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता धीरज कुशवाहा ने पार्टी कार्यालय में यह जानकारी दी. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक विनोद यादव, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश कुशवाहा, प्रधान महासचिव निर्मल कुशवाहा, अभिय़ान समिति के अध्यक्ष जीतेंद्र नाथ, प्रदेश महासचिव वीरेंद्र प्रसाद दांगी व राजदेव सिंह, कार्यालय प्रभारी अशोक कुशवाहा, सचिव राजेश सिंह और संगठन सचिव विनोद कुमार पप्पू भी इस मौके पर मौजूद थे.

पार्टी नेताओं ने बताया कि रालोसपा किसान संगठनों के आंदोलन के समर्थन में दो फरवरी से पूरे बिहार में किसान चौपाल लगा रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पहली बार किसान चौपाल में हिस्सा लेकर किसानों से संवाद करेंगे और केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ हल्ला बोलेंगे. पार्टी नेताओं ने कहा कि नौबतपुर के अजवां गांव में 24 फरवरी को सुबह साढ़े ग्यारह बजे से महाकिसान चौपाल का आयोजन किया गया है. रालोसपा की पटना पश्चिमी जिला इकाई ने इसका आयोजन किया है.

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने कृषि कानून को किसानों के खिलाफ बताया है. रालोसपा ने कहा कि नया कृषि कानून कालाबाजारी और जमाखोरी का बढ़ावा देने वाला है. इससे न सिर्फ किसानों को बल्कि आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. रालोसपा राज्यव्यापी किसान चौपाल में इन कृषि कानूनों के काले पक्ष को किसानों और आम लोगों के सामने रख रही है.  रालोसपा किसान चौपाल के 23 दिन पूरे हो गए हैं और पार्टी बिहार के विभिन्न जिलों में हजारों गांवों में अब तक चौपाल लगा चुकी है. रालोसपा का मानना है कि सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर पूंजीपतियों को असीमित भंडारण की छूट दे दी है इससे जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी. रालोसपा ने केंद्र सरकार के इन कानूनों पर सवाल उठाते हुए इस बात पर हैरत जताई कि आखिर दाल, चावल, तिलहन आम लोगों के लिए जरूरी नहीं है तो फिर जरूरी क्या है. इन उत्पादों पर असीमित भंडारण का मतलब साफ है कि केंद्र सरकार जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा दे रही है.

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